सनातन धर्म कितना पुराना है। सनातन धर्म का इतिहास।
सनातन धर्म क्या है।
सनातन धर्म भारतीय उपमहाद्वीप (Indian subcontinent) का एक प्राचीन धर्म है। इसे हिंदू धर्म भी कहा जाता है। यह धर्म वेदों और उपनिषदों में वर्णित तत्वों पर आधारित होता है। सनातन धर्म में मूलतः अद्वैतवादी (monistic) दर्शन होते हैं, जिसमें ईश्वर और जीव एक होते हैं।
सनातन धर्म का मूल उद्देश्य मानव के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का विकास है। इस धर्म में विविध विधान और साधन होते हैं जिनका उपयोग आत्मा एवं ब्रह्म के संबंध में जानने और समझने के लिए किया जाता है।
इस धर्म में जीवन की चार पुरुषार्थ (goals of human life) होती हैं - धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। धर्म के माध्यम से आध्यात्मिक उन्नति होती है, अर्थ के माध्यम से आर्थिक उन्नति होती है, काम के माध्यम से मनोरंजन एवं सुख का अनुभव होता है और मोक्ष के माध्यम से मुक्ति या मोक्ष प्राप्त होता है।
सनातन धर्म में रेखांकित नहीं है, यह एक विस्तृत समूह है जिसमें विभिन्न संप्रदाय, आचार्य
और दर्शन शामिल हैं। इसमें भगवान श्रीकृष्ण के महाभारत में दिए गए उपदेशों को भगवद गीता के रूप में भी जाना जाता है। इस धर्म में प्रतिपादित विचारों एवं सिद्धांतों का उपयोग आध्यात्मिक, सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक विकास के लिए किया जाता है।
सनातन धर्म में मोक्ष या मुक्ति के लिए आत्मा का उन्नयन (self-realization) अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इसमें संसार के सभी जीवों का एक ही आत्मा होता है और उन्हें एक दूसरे से भेदभाव नहीं करना चाहिए। सनातन धर्म में जीवन के अनेक पहलुओं को एक साथ जीने की सलाह दी जाती है, जिससे समग्र विकास हो सके।
इस धर्म में ज्ञान, कर्म और भक्ति के माध्यम से अपने जीवन को एक उच्च स्तर तक ले जाने का प्रयास किया जाता है। ज्ञान के माध्यम से आत्मा का ज्ञान प्राप्त किया जाता है, कर्म के माध्यम से निष्काम कर्म करना सीखाया जाता है और भक्ति के माध्यम से ईश्वर के प्रति भक्ति विकसित की जाती है।
धर्म एक व्यापक विज्ञान होता है जो विश्व के समस्त धर्मों एवं संस्कृतियों को सम्मिलित करता है। इसके अनुसार समस्त जीव एक ही आत्मा से जुड़े हुए होते हैं और उनमें से प्रत्येक को सम्मान देना चाहिए। सनातन धर्म में सभी जीवों की रक्षा एवं संरक्षण की बात की गई है और यह अपने विचारों के माध्यम से समस्त मानव जाति को एक साथ लाने का प्रयास करता है।
सनातन धर्म में जीवन के उद्देश्य और मार्ग के लिए अनेक संदेश दिए गए हैं। उनमें से कुछ ये हैं:
• धर्माचरण और समाज सेवा करना
• अहिंसा एवं शांति का संरक्षण करना
• अपनी आत्मा का स्वयं के माध्यम से उन्नयन करना
• दूसरों के प्रति कृपा, समर्पण और सम्मान रखना
• एकात्मता और विवेकपूर्ण व्यवहार करना
• शुभाषुभ फलों से निर्धन्ता करना और निष्काम कर्म करना
• ईश्वर के प्रति भक्ति करना और उसके शांतिपूर्ण उपासना करना
• सनातन धर्म का मूल मंत्र "सत्यमेव जयते" है, जिसका अर्थ होता है "सत्य ही
सनातन धर्म कितना पुराना है।
सनातन धर्म, जिसे वैदिक धर्म भी कहा जाता है, एक प्राचीन धर्म है जो भारतीय उपमहाद्वीप (भारत) में उत्पन्न हुआ था। इसका इतिहास लगभग 5000 वर्ष से भी अधिक समय से शुरू होता है। इसकी मूल शाखा ऋग्वेद है, जो लगभग 1500 ईसा पूर्व की अवधि में लिखी गई थी। सनातन धर्म भारतीय दर्शन, संस्कृति, और आध्यात्मिकता का मूल आधार है और भारत के विभिन्न भागों में आज भी लोग इसका अनुसरण करते हैं।
सनातन धर्म का नाम स्वरूप से भारतीय धर्म के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यह धर्म भारत में उत्पन्न हुआ था और इसे भारतीय जाति व प्रथा के साथ जोड़ा जाता है। इस धर्म के सिद्धांतों में अनंत जीवन, सत्य, धर्म, आचार्य, ज्ञान और कर्म शामिल होते हैं।
सनातन धर्म के अनुयायी इसे सबसे पुराना और सर्वश्रेष्ठ धर्म मानते हैं जो मानव जीवन के लिए सर्वोत्तम है। इसकी शिक्षाओं में आत्मा के सम्बन्ध में ज्ञान, धर्म के नैतिकता के आधार पर जीवन जीने का तरीका और ज्ञान की तलाश में सत्य की खोज के बारे में बताया जाता है।
वैदिक संस्कृति के साथ संबद्ध सनातन धर्म एक ऐसी संस्कृति है जो दुनिया के अन्य सभी धर्मों की तुलना में बहुत विस्तृत है। इसमें अनेक देवताओं, देवी-देवताओं, जगत और जीव के संबंधों का विस्तार समावेश है। इस धर्म में मोक्ष, जीवन के अनंत चक्र, रीवा आदि की अवधारणाएं होती हैंभारत के संवैधानिक
भारत के संवैधानिक संरचना में भी सनातन धर्म को महत्वपूर्ण स्थान मिला है। संवैधानिक अधिकारों के साथ-साथ यह धर्म लोगों को स्वतंत्रता और स्वतंत्र धार्मिक अधिकारों की गारंटी भी देता है।
इस धर्म की अन्य विशेषताओं में शांति, अनुशासन, संयम, स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन को बनाए रखना भी शामिल है। इसका मुख्य उद्देश्य जीवन को संतुलित बनाना है ताकि मानव अपने आप को समझ सके और समाज के साथ सहयोग और उत्थान कर सके।
इसके अतिरिक्त, सनातन धर्म अनेक धर्मों का जन्म स्थान भी रहा है जैसे जैन धर्म, बौद्ध धर्म, सिख धर्म आदि। इसलिए, सनातन धर्म एक व्यापक धर्म है जो विभिन्न धर्मों के बीच संबंध बनाता है और इसे दुनिया का एक महत्वपूर्ण धर्म माना जाता है।
सनातन धर्म के नियम।
सनातन धर्म में कुछ महत्वपूर्ण नियम हैं जो उसके अनुयायियों को अपनाने चाहिए। ये नियम जीवन के अनेक क्षेत्रों पर आधारित होते हैं जैसे आचार-विचार, भोजन, स्नान, पूजा, ध्यान, योग, त्याग, दान आदि। कुछ महत्वपूर्ण नियम निम्नलिखित हैं:
1= अहिंसा: सनातन धर्म में अहिंसा एक महत्वपूर्ण नियम है। यह नियम अन्य धर्मों में भी होता है। इसका मतलब होता है कि हमें किसी भी जीव को नुकसान पहुंचाने से बचना चाहिए
2= सत्य बोलना: सनातन धर्म में सत्य बोलने का महत्व है। इसका मतलब होता है कि हमें कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए और हमेशा सच्चाई बोलनी चाहिए।
3= स्वास्थ्य रखना: सनातन धर्म में स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी एक महत्वपूर्ण नियम है। हमें स्वस्थ रहने के लिए नियमित भोजन, स्नान और व्यायाम करना चाहिए।
4= पूजा करना: सनातन धर्म में देवी-देवताओं की पूजा करने का महत्व होता है। यह मन को शुद्ध और शांत रखता है और हमें देवी-देवताओं के आशीर्वाद से जीवन को सफल बनाने में मदद करता है। पूजा करने से हमारे मन में शांति आती है और हमारे आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है।
5= त्याग करना: सनातन धर्म में त्याग का महत्व होता है। इसका मतलब होता है कि हमें अपने अहंकार को छोड़कर, विवेकपूर्ण विचार करके निर्णय लेना चाहिए। हमें अपनी स्वार्थपरता और भोग वस्तुओं से परे होकर दूसरों की सहायता करना चाहिए।
6= दान करना: सनातन धर्म में दान का महत्व होता है। हमें अपनी समृद्धि के बारे में सोचना चाहिए और दूसरों के साथ अपनी समृद्धि शेयर करना चाहिए। इससे हमें अन्य लोगों की मदद करने में संतोष मिलता है।
7= वेदों का पालन करना: सनातन धर्म में वेदों के पालन का महत्व होता है। हमें वेदों के निर्देशों का पालन करना चाहिए जैसे कि धर्म, नैतिकता, स्वस्थ जीवन और उच्चतम स्तर के आदर्शों के प्रति अनुकरण करना चाहिए।
कुछ महत्वपूर्ण सनातन धर्म के नियम
8= सदाचार: सनातन धर्म में सदाचार का महत्व होता है। हमें अच्छे संगति में रहना चाहिए और अच्छे संदर्भ में अच्छे व्यवहार करना चाहिए। हमें अपनी वाणी को सावधानीपूर्वक उपयोग करना चाहिए और दूसरों के प्रति उदार होना चाहिए।
9= संस्कृति का सम्मान करना: सनातन धर्म में संस्कृति का महत्व होता है। हमें अपनी संस्कृति का सम्मान करना चाहिए और उसे अपने जीवन में शामिल करना चाहिए। हमें धर्म, त्योहार, रीति-रिवाजों के प्रति समझदार होना चाहिए।
10= स्वयं का विकास करना: सनातन धर्म में स्वयं के विकास का महत्व होता है। हमें अपने व्यक्तित्व को समृद्ध करना चाहिए और आत्मविश्वास को बढ़ाना चाहिए। हमें अपनी आत्मा को अनुभव करना चाहिए और अपने जीवन के महत्वपूर्ण कार्यों को संभालना चाहिए।
ये कुछ महत्वपूर्ण सनातन धर्म के नियम हैं जिनका पालन करना हमें एक समृद्ध जीवन जीने में मदद करता है।
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